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सियासत
| 5-मिनट में पढ़ें
बिलाल एम जाफ़री
@bilal.jafri.7
MoTN Survey: लव जिहाद और हिजाब पर 'देश का मिजाज' मुसलमानों के विपरीत!
मुस्लिम समुदाय हिजाब के समर्थन में चाहे लाख बड़े तर्क दे दे. लव जिहाद को अपने खिलाफ एक बड़ी साजिश बता ले. लेकिन इन मसलों पर जनता की सोच उनसे बिलकुल अलग है. इंडिया टुडे और सी वोटर ने Mood Of The Nation सर्वे किया है और उसमें जो जानकारी निकल कर बाहर आई है साफ़ हो गया कि लव जिहाद और हिजाब पर देश मुसलमानों के साथ नहीं है.
स्पोर्ट्स
| 4-मिनट में पढ़ें
सुशोभित सक्तावत
@sushobhit.saktawat
क़तर के फीफा विश्व कप के दौरान सामने आया 'सभ्यताओं का टकराव'!
विश्व कप में फ़ुटबॉल के साथ ही 'क्लैश ऑफ़ सिविलाइज़ेशन' का भी जमकर मुज़ाहिरा हो रहा है. पश्चिमी जगत क़तर में इस्लामिक नियमों को थोपे जाने से नाराज़ है. वहीं ईरान के खिलाड़ी अपने देश के इस्लामिक शासन के खिलाफ प्रदर्शन करते हैं तो जर्मन खिलाड़ी समलैंगिकों के पक्ष में आवाज न उठा पाने पर ऐतराज जताते नजर आए.
सियासत
| बड़ा आर्टिकल
अनुज शुक्ला
@anuj4media
हिजाब पर ईरान में खामनेई की अपील, आंध्र में अशराफों का पाखंड और शरद पवार की चिंता!
शरद पवार कह रहे हैं कि बॉलीवुड में अल्पसंख्यकों का योगदान सबसे ज्यादा है. और, ईरान के अली खामेनेई भी हिजाब को लेकर मुस्लिम स्कॉलर और बुद्धिजीवी से अपील करते दिखते हैं. इस बीच गुंटूर में अशराफ मुसलमानों की तरफ से एक दरगाह तोड़ने की कोशिश होती है. तीनों घटनाएं अलग भले हों, पर एक चीज है इनमें जो तीनों को जोड़ देता है. साहिर लुधियानवी के बहाने आइए समझते हैं वह क्या है?
सियासत
| 2-मिनट में पढ़ें
देवेश त्रिपाठी
@devesh.r.tripathi
मामला जब 'अल्लाह' के हुक्म का ही है तो हिजाब पर पसंद-नापसंद, अदालती नौटंकियों का कोई तुक है क्या?
खुद को मुस्लिम राजनीति का रहनुमा कहने वाले एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) कह देते हैं कि 'कर्नाटक की बच्चियां इसलिए हिजाब (Hijab) पहन रही हैं, क्योंकि कुरान में अल्लाह ने उन्हें कहा है. वैसे, इस्लाम में जब अल्लाह का हुक्म हो, तो वहां पसंद (Choice) और नापसंद का सवाल ही नहीं रह जाता है. तो, बात हिजाब की हो या किसी और की. वो अपने आप ही बाध्यता बन जाता है.
सियासत
| 6-मिनट में पढ़ें
देवेश त्रिपाठी
@devesh.r.tripathi
हिजाब केस: जज साहब, च्वाइस सर्वोपरि है तो क्या कोर्ट में वकील बिना गाउन के पैरवी कर सकते हैं?
कर्नाटक हिजाब विवाद (Karnataka Hijab Row) पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में हो रही सुनवाई पर फैसला तार्किक ही होना चाहिए. वरना इसकी वजह से कई समस्याएं खड़ी हो जाएंगी. वैसे, इसी साल पटना हाईकोर्ट के एक जज ने बिहार सरकार के प्रधान सचिव (शहरी विकास) आनंद किशोर को उनके 'अनुचित' ड्रेसिंग कोड (Dress Code) के लिए जमकर फटकार लगाई थी.
सियासत
| 5-मिनट में पढ़ें
बिलाल एम जाफ़री
@bilal.jafri.7
SC के जस्टिस हेमंत गुप्ता-जस्टिस सुधांशु धूलिया हिजाब बहस के दो सिरे बन गए!
हिजाब मामले पर जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस सुधांशु धूलिया के अलग अलग मत थे इसलिए अंतिम फैसला अब तीन जजों की बेंच सुनाएगी. इतना तो तय है कि जैसे जैसे दिन आगे बढ़ेंगे, हिजाब मामले पर सियासत तेज होगी. यानी फैसले को बड़ी बेंच को सौंपकर कोर्ट ने इस पूरे मामले को नया विस्तार दे दिया है.
सियासत
| बड़ा आर्टिकल
अनुज शुक्ला
@anuj4media
ईरान में हिजाब मसला है ही नहीं, असल दिक्कत तो वह है जो पाकिस्तान में बांग्लादेश को लेकर थी
ईरान में महसा अमीनी की हत्या की वजह हिजाब नहीं उसकी निजी सांस्कृतिक पहचान है. उसकी हत्या उसके नस्ल से घृणा की वजह से की गई. महसा अमीनी जिस नस्ल से आती है उसे टर्की जैसे पाखंडी प्रगतिशील देश भी इंसान का दर्जा नहीं देते. ईरान तो खैर घोषित कट्टरपंथी है. जो बीमारी ईरान में है वही पाकिस्तान में भी है.
सियासत
| बड़ा आर्टिकल
अनुज शुक्ला
@anuj4media
तीन तस्वीरें जो साबित करती हैं राहुल की यात्रा कुछ भी हो, भारत जोड़ो नहीं है- सबूत देख लीजिए!
जिस यात्रा में पाकिस्तान को बनाने में अहम भूमिका निभाने वाले अल्लामा इकबाल की तस्वीर महात्मा गांधी के साथ इस्तेमाल की जाए और सिर से पांव तक बुरका में ढंकी एक बच्ची दिखे- उसके मकसद भारत जोड़ो जैसे तो बिल्कुल नहीं दिखाई देते.
समाज
| बड़ा आर्टिकल
prakash kumar jain
@prakash.jain.5688
हिजाब मामले की चल रही सुप्रीम सुनवाई बेहतरीन कोर्ट रूम ड्रामा ही है!
भारत में हिजाब को लेकर जो बवाल मचा है कहा यही जाएगा कि जरूरत संतुलन की नहीं, बल्कि बड़े हित में कड़ा फैसला लेने की है. परसाई जी को गलत साबित करने की है! और जब भारत धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र कहलाता है तो प्रो हिजाब होने का क्या तुक खासकर तब जब ईरान सरीखे कट्टर इस्लामिक देश में एंटी हिजाब मुहीम ने जोर पकड़ रखा है। #नो टू हिजाब ईरान से पहले तो भारत में होना चाहिए था ना!